चार धाम यात्रा ,संपूर्ण जानकारी

चार धाम यात्रा ,संपूर्ण जानकारी

2019 Schedule for Char Dham Yatra… - HospiBuz
Char Dham Yatra Uttarakhand

क्या है चार धाम यात्रा ?

चार धाम यात्रा पौराणिक कल से सनातन धर्म में चली आ रही वह परंपरा है जिसमे उत्तराखंड राज्य में स्थित चार प्रमुख तीर्थ स्थल श्रीकेदारनाथ , श्री बद्रीनाथ , गंगोत्री एवं यमनोत्री की यात्रा की जाती है देश विदेश से श्रद्धालु इस यात्रा में हिस्सा लेने बड़े उत्साह के साथ हरिद्वार पहुँचते है जहाँ से ऋषिकेश होते हुए वह ये यात्रा प्रारम्भ होती  है इसी यात्रा के महत्व की वजह से उत्तराखंड को देव भूमि भी कहा जाता है इतिहासकार बताते है की इस यात्रा का महत्व महाभारत काल से चला आ रहा है जब महाराज पाण्डु के 5 पुत्रो ने महाभारत युद्ध के बाद अज्ञातवास के समय इन मुख्या तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया , लोगो का ऐसा मानना है की इस यात्रा को करने सेउन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जनम और मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर ईश्वर की प्राप्ति करते है ,ये कोई साधारण यात्रा नहीं है इसमें आने वाले श्रद्धालुओं को विभिन्न कठिनाइयों से गुजर कर सभी प्रमुख तीर्थ स्थल के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है

10 Important Tips to Plan for Char Dham Yatra - Dham Yatra Blog

उत्तराखंड प्रकृति और वास्तविक सौंदर्य का बेजोड़ नमूना है जहाँ आप गगनचुम्बी पर्वतों से लेकर दूधिया नदी झरने पहाड़ और बर्फ से घिरे हुए पर्वतों का आनंद प्राप्त करते है यहाँ आने पैर आपको वास्तव में ऐसा महसूस होता है जैसे की आप ईश्वर की गोद में है ये चार धाम यात्रा उत्तराखंड स्थित गढ़वाल जिले में स्थित है जहाँ का सौंदर्य अध्भुत है ,ये यात्रा प्रति वर्ष अप्रैल माह के मध्य में शुरू होकर सितम्बर अंत तक चलती है जिसमे लाखों श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से इन पवित्र चार धाम के दर्शन प्राप्त करते है जिनमे मुख्यता उत्तर भारत से आने वाले श्रद्धालुओं की होती है

ये चार धाम यात्रा उत्तराखंड स्थित गढ़वाल जिले में स्थित है जहाँ का सौंदर्य अध्भुत है ,ये यात्रा प्रति वर्ष अप्रैल माह के मध्य में शुरू होकर सितम्बर अंत तक चलती है जिसमे लाखों श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से इन पवित्र चार धाम के दर्शन प्राप्त करते है जिनमे मुख्यता उत्तर भारत से आने वाले श्रद्धालुओं की होती है

अंग्रेजी में जानकारी के लिए कृपया पढ़ेChar Dham Yatra Tour Package

चार धाम यात्रा का पौराणिक इतिहास

इस यात्रा का इतिहास 8 वी शताब्दी से जुड़ा बताया जाता है जिसमे गुरु अदि शंकराचार्य ने सबसे पहले इन धामों का भ्रमण किया था , वास्तव में उन्होंने सर्वप्रथम वास्तविक चार धाम की यात्रा की थी जिसे की बड़े चार धाम की यात्रा के नाम से जाना जाता है वो प्रमुख तीर्थ स्थल है (जगन्नाथ पूरी, द्वारका ,बद्रीनाथ एवं रामेश्वरम ) उसके बाद उन्होंने विश्व में सबसे पहले  उत्तराखंड स्थित चार धाम (श्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री एवं गंगोत्री की यात्रा की जिससे उन्हें जीवन मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति हुई और तभी से इस संसार में इन यात्राओं का महत्व लोगों को ज्ञात हुआ ,इसके उपरांत पुराणों के उलेख से ये ज्ञात होता है की अज्ञातवास के समय में पाण्डवों ने भी यहाँ ठहर कर भगवन शिव की घोर तपस्या की थी, हिन्दू संस्कृति के अनुसार से इन तीर्थ स्थलों की यात्रा से श्रदालु  साक्षात् ईश्वर की अनुभूति करते है !

Char Dham yatra in Uttarakhand to reopen next month - Outlook Traveller
Kedarnath Temple

चार धाम यात्रा का महत्व क्या है ?

हिन्दू परंपरा के अनुसार चार धाम यात्रा का हर हिन्दू धर्म में जन्म लेने वाले व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक बार अपने जीवन काल में इस यात्रा का अनुभव करना चाहिए ऐसा विश्वास है की इस यात्रा को पूरी करने से ही व्यक्ति की जीवन यात्रा संपूर्ण होती है इस यात्रा के करने मात्रा से व्यक्ति के जीवन में सारे पाप धूल जाते है और वह मोक्ष को प्राप्त होता है इस यात्रा के  महत्व का वर्णन  हिन्दू धर्म ग्रंथो में अपने अपने हिसाब से किया गया है और हिन्दू धरम में इस यात्रा की मान्यता को विशेष दर्जा प्राप्त है ,

पुराने समय में सिर्फ वही लोग इस यात्रा को करने जाते थे जो अपनी जीवन सम्बन्धी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते थे क्युकी उस वक़्त ये यात्रा असुविधाओं का भण्डार थी दुर्गम पहाड़ियों से गुजरते हुए इस यात्रा को पूर्ण करना उतना ही कठिन था जितना इसके बारे में विवरण उपलब्ध है , पर आज के आधुनिक युग में इस यात्रा को श्रद्धालुओं के लिए काफी सुगम बना दिया गया है जिससे प्रतिवर्ष यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है और आप इस यात्रा का अनुभव आज के दौर में आसानी से कर सकते है   


Char Dham Yatra

चार धाम यात्रा कब और कहाँ से शुरू करे?

हर साल उत्तराखंड राज्य में होने वाली चार धाम यात्रा अप्रैल माह के मध्य में शुरू होकर सितम्बर तक चलती है चार धाम यात्रा शुरू करने के लिए सभी यात्रियॉं और श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव उत्तराखंड में स्थित प्रमुख धार्मिक स्थल हरिद्वार है जिसे अदि काल से देव भूमि कहा जाता है जैसे की इसका नाम है हरिद्वार उसी प्रकार हरी यानि की विष्णु भगवान् के  दर्शन का द्वार इसी शहर में पहुंचकर शुरू होता है  सबसे पहले श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचकर गंगा स्नान करते है उसके बाद यहाँ की प्रमुख तीर्थ स्थलों का भ्रमण करते है उसके बाद उनका अगला पड़ाव होता है ऋषिकेश जो की हरिद्वार से मात्रा 25 किलोमीटर की दूरी पैर स्थित है जहाँ पहुँचने में सिर्फ आधा घंटा लगता है वहां जाकर श्रद्धालु विभिन्न आश्रमों का भ्रमण करते है एवं गंगा स्नान के बाद रात्रि गंगा आरती का लुत्फ़ उठाते ही जो की वहां का एक प्रमुख आकर्षण है

Rudraprayag: About Rudraprayag River in Uttarakhand - Tripoto
Rudraprayag

अगले दिन सुबह उठकर लोग अपनी चार धाम यात्रा प्रारम्भ करते है जो की सर्वप्रथम देव प्रयाग पहुँचते है जो की इस यात्रा का प्रमुख केंद्र है जिन यात्रियों को संपूर्ण चार धाम यात्रा करनी होती है वे भी इसी स्थान पर से अपनी यात्रा प्रारम्भ करते है और जो श्रद्धालु सिर्फ दो धाम जैसे की केदारनाथ बद्रीनाथ की ही यात्रा करना चाहते है वो भी यहीं आकर अपना चुनाव कर सकते है देव प्रयाग पहुंचकर श्रद्धालु सबसे पहले यमनोत्री धाम का रुख करते है और माँ यमनोत्री के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते है क्युकी ये यात्रा पश्चिम से पूर्व की तरफ चलती है ,उसके उपरांत वह उत्तरकाशी पहुंचकर गंगोत्री धाम का रुख करते है जो की यात्रा का दूसरा पड़ाव है , यात्रा का अलग पड़ाव है केदारनाथ जिसके लिए आपको गौरीकुंड पहुंचकर पैदल यात्रा करनी पड़ती है यात्रा का अंतिम पड़ाव है जोशीमठ जहाँ पहुंचकर आप भगवान् बद्रीनाथ के दर्शन करते है और इस तरह आपकी चार धाम यात्रा संपूर्ण होती है 

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चार धाम यात्रा 2021 से जुडी जानकारी

जैसा की आप सभी जानते है की पिछले वर्ष कोरोना की वजह से ये यात्रा स्थगित कर दी गयी थी और आम पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को इस यात्रा का सौभाग्य पिछले वर्ष नहीं हो पाया था, ऐसा मन जा रहा था की 2021 में ये यात्रा अपने पूर्ण रूप में वापस लौटेगी लेकिन कोरोना की दूसरी लेहेर की वजह से इस वर्ष भी मई महीने में इसे आम पर्यटकों के लिए फिलहाल स्थगित कर दिया गया है लेकिन हो सकता है आने वाले महीनों में हो सकता है की सरकारी गाइडलाइन्स के साथ इस यात्रा को दोबारा श्रद्धालुओं के लिए शुरू कर दिया जाये लेकिन फिलहाल ऐसी कोई आधिकारिक घोसणा अभी राज्य सर्कार की तरफ से नहीं हुई है

पर आपको जानकर खुसी होगी की हर वर्ष की भाटी भी इस वर्ष केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम के कपाट अपनी निर्धारित तिथि के हिसाब से खोल दिए गए है पर फिलहाल यात्रा की अनुमति अभी नहीं है , इस बारे में जैसे ही कोई नयी जानकारी प्राप्त होगी हम आपको उस जानकारी से अवगत कराएँगे

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यमनोत्री धाम की विशेषता

यमनोत्री धाम उत्तराखंड की गढ़वाल जिले में बसा हुआ एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जहाँ हर वर्ष श्रद्धालु लाखों की तादात में दर्शन करने आते है यहाँ धाम प्रमुख चारधाम में से एक है और समुद्र ताल से 3200 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है यमनोत्री धाम काफी श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव भी होता है जो की चार धाम यात्रा पर आते है यमुनोत्री धाम देवी यमुना को समर्पित है जहाँ वह यमुना नदी स्वरुप में साक्षात् विराजमान है धार्मिक ग्रंथो के हिसाब से देवी यमुना भगवान् यम जो की मृत्यु के देवता है की बहन है और इसी वजह से उन्हें यमुना नाम से ओकरा जाता है ऐसी मान्यता है की यमनोत्री धाम के दर्शन मात्रा से भक्तों को आक्समिक मृत्यु एवं अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है एवं उनके जीवन को संसार की किसिस भी दुर्घटना में हानि नहीं पहुँचती है  यह धाम घने जंगलों के बीच पर्वत की ऊँची छोटी पर स्थित है जहाँ ऑक्सीजन लेवल की समस्या रहती है अथवा श्रद्धालुओं को पुरे इंतज़ाम के साथ इस यात्रा कलुतफ उठाना चाहिए यहाँ आने के लिए श्रद्धालु या तो पैदल यात्रा करते है या फिर खच्चर और पाली में बैठकर यहाँ तक पहुँचते है 

Yamunotri Temple | Char Dham Yatra 2021 in Uttarakhand
Yamnotri Temple

गंगोत्री धाम की विशेषता

गंगोत्री धाम उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है और यह चार धाम यात्रा में से एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है समुद्र ताल से इसकी ऊंचाई लगभग 3100 मीटर है और यह ४ धाम यात्रा का दूसरा पड़ाव है जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु देवी रुपी माँ गंगा के दर्शन के लिए आते  है यह पड़ाव चार धाम यात्रा का विशेष पड़ाव है जहाँ देवी गंगा नदी स्वरुप में विराजमान है और ऐसा मन जाता है की यहीं से माँ गंगा के धरती पर अवतरित होने की कथा जुडी है जब महान तपस्वी भगीरथ ने माँ गंगा की हजारो वर्ष तपस्या की जिससे की वह अपने पुवजनो की अस्थियों का विसर्जन माँ गंगा में कर सके और फिर माँ गंगा इसी जगह पर पहली बार पृथ्वी पर प्रकट हुई इसी कारन माँ गंगा को हम भागीरथी के नाम से भी जानते है यहाँ का मौसम इतना खुशगवार है की यहाँ एक बार जो व्यक्ति भ्रमण कर जाता है वो अपने जीवन में कभी इस ख़ास अनुभव को भुला नहीं सकता

Gangotri Temple – Uttarakhand Trip Trek
Gangotri Temple

केदारनाथ धाम की विशेषता

केदारनाथ धाम एक विश्व प्रसिद्द हिन्दू धार्मिक स्थल है चार धाम के 4 प्रमुख तीर्थ स्थलों में आने की वजह से इसकी विशेषता और बाद जाती है , यहाँ हर वर्ष करोड़ों श्रद्धालु और पर्यटक इस ऐतिहासिक तीर्थ स्थल के भ्रमण पर आते है इसकी ऊंचाई समुद्र तक से लगभग 3500 मीटर है और यह तीर्थ स्थल उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है ये मंदिर सर्दियों के मौसम में अक्सर बर्फ से ढका रहता है और भगवान् शिव के दुनिया भर  के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है इस मंदिर के समीप मन्दाकिनी नदी है जिसकी कल कल करती ध्वनि श्रद्धुलाओ को कठिन यात्रा के दौरान तरोताज़ा करती है और श्रद्धालु इसमें स्नान करने के उपरांत ही भगवान् शिव के दर्शन करते है

Kedarnath Temple wrapped in blanket of snow on closing day ceremony. See  pics
Kedarnath Temple

ऐसा मन जाता है की इस मंदिर का निर्माण महाभारत के योद्धा पाण्डुपुत्र भीम और उनके भाइयों ने स्वय अपने हाथों से किया है यहाँ भगवान् शिव एक भैसे की पिछले हिस्से के रूप में विराजमान है भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का भी इस मंदिर से ख़ास लगाव है जो की नियमित तौर पर यहाँ दर्शन करने एते रहते है यहाँ की यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं को रुद्रप्रयाग के रस्ते होते हुए पैदल मार्ग या फिर खच्चर और पालकी के द्वारा केदारनाथ धाम की 16 किलोमीटर की यात्रा पूरी करनी पड़ती है , यहाँ का वातावरण इतना शुद्ध है की यहाँ एक बार आकर श्रद्धालुओं का वापस जाने का मन नहीं होता ,केदारनाथ धाम भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है और एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो इतनी ऊंचाई पर विराजमान है इसके दर्शन का लाभ प्राप्त होने संसार के सभी दुखो से मुक्ति मिलती है

बद्रीनाथ धाम की विशेषता

बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड राज्य के चमोलि जिले में स्थित है एवं यह मंदिर को भगवान् बद्री विशाल के नाम से भी जाना जाता है , बद्रीनाथ धाम चार धाम में आने वाले चार प्रमुख पड़ावों में से एक है और यह तीर्थ स्थल भगवान् विष्णु को समर्पित है यहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु भगवान् बद्री विशाल के दर्शन के लिए देश के कोने कोने से आते है और चार धाम यात्रा के वक़्त यह स्थान हमेशा श्रद्धालुओं से भरा रहता है लोगों का ऐसा मानना है की इस मंदिर का निर्माण गुरु अदि शंकराचार्य ने 8 वी शताब्दी में खुद अपने हाथों से किया था और उसके उपरांत गुरु शंकराचार्य को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी अलकनंदा नदी के समीप बसा हुआ ये रमणीक तीर्थस्थल अपने आप में अनूठी खूबसूरती समाये हुए है

बद्रीनाथ धाम श्रद्धालुओं के अलावा अपने आप में पर्वतरोहियों के लिए भी एक ख़ास केंद्र है जहाँ दुनिया भर के पर्वतरोही एकत्र होकर अपने अपने गंतव्य के लिए प्रस्थाकरते है क्युकी यही से आगे जाकर वो विभिन्न पर्वतों पर अपने शौकको पूरा करते है

यहाँ बहती अलकनंदा नदी अपने आप में विशेष खूबसूरती समाये हुए है ऐसा मानाजाता हैकि भगवान् विष्णु ने यहांखुद हजारो वर्षो तक तपस्या की थी और उनकी पत्नी माता लक्ष्मी ने वृक्ष रूप में उन्हें वहां उपस्थित रहकर छाँव दी थी आज भी वो स्थान बद्री वृक्ष के नाम से जाना जाता है और श्रद्धालु वहां पर दर्शन करना नहीं भूलते

यहाँ उपस्थित भगवान् विष्णु की प्रतिमा काळा रंग के एक विशेष पत्थर से बानी हुई है जो की अलकनंदा नदी में पाया जाता है उस पठार को शालिग्राम बोलै जाता है और आज भी श्रद्धालु उस पत्थर को वहां से लेकर अपने घरों के पूजा स्थलों में स्थान देते है एवं घर की विशेष आयोजनों में शालिग्राम भगवान् को बिठाकर उनका अनुष्ठान किया जाता है यहाँ की यात्रा के लिए आपको पैदल नहीं चलना पड़ता और आप यहाँ अपने खुद के वाहनों से पहुँच सकते है

चार धाम यात्रा हिन्दुओं के लिए क्यों जरुरी है ?

हिन्दू मान्यताओं के हिसाब से जीवन में कोई भी तीर्थ यात्रा ४ प्रमुख जिम्मेदारियों पर निर्भर होती है जिसका अनुसरण हर हिन्दू धर्म के व्यक्ति को अपने जीवन में करना चाहिए ये जिम्मेदारियां इस प्रकार है धरम ,अर्थ ,काम ,मोक्ष 

हिन्दू धरम से शुरू से परंपरा रही है की लोग तीर्थ यात्रा , ध्यान,तपस्या,क्रियाकर्म ,संस्कार अदि पर विशेष ध्यान देते है उसी प्रकार चार धाम यात्रा भी सदियों से चली आ रही परंपरा का एक हिस्सा है जिसे आज भी लोग पूर्ण विश्वास के साथ निभाते है

इस चार धाम यात्रा का उल्लेख विशेष हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी पाया जाता है जिसकी मान्यताओं को हिन्दू धर्म में विशेष स्थान दिया गया है और भी करोड़ों लोग उनका अनुसरण करते है , सबसे विशेष मान्यता ये है की ये यात्रा व्यक्ति को साधारण जीवन से निकालकर मोक्ष की ओर ले जाती है और इसी कारन लोग जीवन में एक बार इस यात्रा का आनंद उठाना चाहते है 

चार धाम यात्रा से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी

जैसा की आप सभी जानते है की उत्तराखंड राज्य में स्थित ४ धाम यात्रा एक साधारण यात्रा नहीं है और यहाँ रहकर हर यात्री को विशेष शारीरिक परीक्षा से गुजरना पड़ता है इस यात्रा में श्रद्धालुओं को १० दिन तक ठन्डे बर्फीले पहाड़ों ,घने जंगलों, नदी, झरने, पैदल यात्रा और तमाम तरह की विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है इसलिए इस यात्रा में आपको कुछ ख़ास जानकारी की जरुरत होती है

Badrinath Temple Complete Travel Guide 2020
Badrinath Ji

1आप अपनी जरुरी दवाये और इमरजेंसी किट हमेश साथ रखे

2 सनस्क्रीन क्रीम एवं मच्छर दानी हमेशा साथ रखे

3 पानी की बोतल और कुछ उबला हुआ खाना साथ रखे

4 बरसाती ,गरम ऊनि कपडे, मोज़े , दस्ताने, ग्लव्स और गरम टोपी हमेशा साथ रखे

5 पानी से बचाब के लिए वाटरप्रूफ जुते बेहतर विकल्प होंगे

6 हमेशा अपने साथ आधार कार्ड और इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर रखे

7 सरकारी वेबसाइट पर अपनी यात्रा सम्बन्धी पंजीकरण अवश्य करे

8 मदिरा एवं मीट पूरी तरह से प्रतिबंधित है

9 यात्रा आरम्भ होने से २ माह पूर्व सुबह की सैर जरुरी है

10 किसी भी तरह की तम्बाकू और धूम्रपान यहाँ प्रतिबंधित है

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